पूर्वी भारत में ऑटिज्म थेरेपी में नई उम्मीद: डिसन हॉस्पिटल और बैंगलोर स्थित बीएमआई ने मिलकर की एबीए थेरेपी की शुरुआत

माइंडस्पेस अकैडमी से मिलेगा संपूर्ण सपोर्ट—प्रारंभिक स्क्रीनिंग, नैतिक उपचार व केयरगिवर ट्रेनिंग
कोलकाता, 17 जून 2025: डिसन हॉस्पिटल ने बैंगलोर स्थित बीहेवियर मोमेंटम इंडिया (बीएमआ) के साथ साझेदारी कर पूर्वी भारत में ऑटिज्म के लिए अनुप्रयुक्त व्यवहार विश्लेषण (एबीए) आधारित इंटरवेंशन की शुरुआत की है। विश्व ऑटिस्टिक गौरव दिवस 2025 के मौके पर शुरू हुए इस कार्यक्रम के तहत ‘माइंडस्पेस अकैडमी’ नामक एक समर्पित ऑटिज़्म और न्यूरोडेवलपमेंट सहायता केंद्र की स्थापना की गई है।
यह केंद्र न केवल पूर्वी भारत का पहला हॉस्पिटल-इंटीग्रेटेड एबीए मॉडल पेश करता है, बल्कि इसमें प्रारंभिक विकासात्मक जांच, प्रमाणिक एबीए थेरेपी, केयरगिवर सपोर्ट व सहायक व्यवहार तकनीशियन (एबीटी) ट्रेनिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है।
बीएमआई की संस्थापक डॉ. स्मिता अवस्थी (बीसीबीए-डी) ने कहा, “अब तक पूर्वी भारत के परिवारों को ऑटिज्म के क्षेत्र में वैश्विक स्तर की सेवाएं नहीं मिल पाती थीं। लेकिन अब यह स्थिति बदलने जा रही है।”
डिसन हॉस्पिटल की निदेशक (न्यूरोडिवेलपमेंट इनिशिएटिव्स) सुश्री शाओली दत्ता ने कहा “एबीए सिर्फ एक थेरेपी नहीं, बल्कि एक समावेशी हेल्थ सिस्टम की दिशा में बड़ा कदम है। ऑटिस्टिक बच्चों और उनके परिवारों को बिखरी हुई देखभाल की जगह अब एक संगठित और सम्मानजनक समर्थन मिलेगा।”
डॉ. बिचित्रवाणु सरकार, प्रमुख – पीडियाट्रिक्स व पीडियाट्रिक्स आईसीयू, डिसन हॉस्पिटल, ने कहा, “एएसडी में शीघ्र हस्तक्षेप बेहद जरूरी है। माइंडस्पेस अकैडमी के ज़रिए हज़ारों परिवारों को सटीक निदान और नैतिक ट्रीटमेंट का भरोसेमंद विकल्प मिलेगा।”

कार्यक्रम में तीन ऐसे ऑटिस्टिक बच्चों को सम्मानित भी किया गया जिन्होंने एबीए आधारित थेरेपी से बेहतर सामाजिक समावेशन हासिल किया। वहीं एक अभिभावक ने साझा किया, “पहले मैं अकेला महसूस करता था, लेकिन अब मेरा बच्चा एक ऐसे सिस्टम का हिस्सा है जो उसे समझता है।”
घोषित की गईं आगामी पहलें:
केयरगिवर-नेतृत्व वाली सपोर्ट व लर्निंग सीरीज
स्कूल समावेशन पर पायलट प्रोजेक्ट
बंगाल और ओडिशा में सामुदायिक जागरूकता अभियान
इन सभी पहलों को डिसन हॉस्पिटल और बीएमआई की संयुक्त देखरेख में इस वर्ष के अंत तक शुरू किया जाएगा। कार्यक्रम के अंत में स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों के सभी सार्वजनिक और निजी हितधारकों से अपील की गई कि वे इस दिशा में आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर, प्रशिक्षण और सहानुभूति को बढ़ावा दें।
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